वर्गीकरण क्या है? परिभाषा, नियम, उदाहरण, जानें A-Z

दोस्तों इस लेख में हम जानेंगे कि वर्गीकरण क्या है (Vargikaran kya hai) वर्गीकरण की खोज किसने की, वर्गीकरण की आवश्यकता क्यों पड़ी, वर्गीकरण का महत्त्व क्या है और भी ऐसे बहुत से सवाल वर्गीकरण से सम्बंधित जिनके बारे में हम आज अध्ययन करेंगे।

वर्गीकरण क्या है (vargikaran kya hai) यह जानने से पहले हमें यह जानना जरूरी है कि –

Table of Contents

वर्गिकी किसे कहते है? What is Taxonomy in Hindi?

जीव विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत जीवो का पहचान, नामकरण और वर्गीकरण किया जाता है, उसे वर्गिकी (Taxonomy) कहा जाता है।

जैसे –  मान लेते हैं की मैंने एक जीव की खोज की उसके बाद मैंने उस जीव का विशेष लक्षण देखा यानि की उसका विशेषीकरण किया कि उसमे क्या – क्या लक्षण मिल रहे है।

फिर हमने उस जीव का पहचान किया, पहचान में हमने उस जीव की कोशिका का अध्यन किया और मान लेते है कि हमने देखा की इसमें तो कोशिका भित्ति मिल रही है और यह प्रकाश संश्लेषण कर रहा है यानि की यह पादप हो सकता है।

अब हमने उस जीव का तो पहचान कर लिया उसके बाद हम उसका नामकरण करेंगे। देखिये दोस्तों नामकरण करने के कुछ नियम है। जिसे हम आगे पढ़ेंगे। मान लेते है हमने उसका नामकरण भी कर दिया।

अब उसके बाद हम उस जीव का वर्गीकरण करेंगे। इसमें हम तुलना करेंगे किससे, अन्य पादपो से, क्या देखेंगे समानता और असमानता, और समानता और असमानता के आधार पर हम उसका वर्गीकरण कर देंगे। 

दोस्तों वर्गिकी में जो सबसे ज्यादा इम्पोर्टेन्ट है। वह है वर्गीकरण (Classification)। अब हम बात करेंगे कि –

वर्गीकरण क्या है? Vargikaran kya hai?

जब जीवो को समानता और असमानता या लक्षणों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है तो उसे वर्गीकरण (Classification) कहते है।

आशा करता हूं आपको यहां तक की बात समझ में आ गई होगी अब आगे बढ़ते हैं।

वर्गीकरण विज्ञान किसे कहते है? What is Systematics in hindi?

वर्गीकरण विज्ञान को अंग्रेजी में Systematics कहा जाता है, और यह Systematics शब्द वैज्ञानिक कार्ल लीनियस ने दिया था। सबसे पहले मै आपका एक कंफ्यूजन दूर कर दूँ, कि शायद आप सोचते होंगे कि वर्गीकरण विज्ञान (Systematics) और वर्गिकी (Taxonomy) दोनों एक है लेकिन दोनों एक नही है इन दोनों में कुछ अंतर है। क्या अंतर है चलिए जानते है।

हम वर्गिकी में क्या करते है। हम वर्गिकी में पहचान विशेषीकरण, नामकरण और वर्गीकरण करते है और वर्गीकरण में समानता और असमानता के आधार पर जीवो को वर्गीकृत करते है।

लेकिन वर्गीकरण विज्ञान (Systematics) में हम एक एक्स्ट्रा काम करते है जो वर्गिकी (Taxonomy) में नही किया जाता है। वर्गीकरण विज्ञान में भी वर्गिकी की तरह पहचान विशेषीकरण, नामकरण और वर्गीकरण करते है।

लेकिन इसमें समानता, असमानता और विकासवादी सम्बन्ध के आधार पर वर्गीकरण करते है। तो इस तरह के प्रणाली को वर्गीकरण विज्ञान (Systematics) कहा जाता है। तो इसमें क्या एक्स्ट्रा था विकासवादी सम्बन्ध

दोस्तों वर्गीकरण क्या है इसे समझने के लिए हमें ऊपर बताई गयी बाते और नीचे जो आपको बताई जाएँगी इन्हें जानना बहुत ही आवश्यक है, अगर आप वर्गीकरण क्या है, इसे अच्छे से समझना चाहते हो तो आपको इस लेख को पूरा पढ़ना चाहिए। अब हम पढ़ेंगे कि –

नामकरण क्या है? What is Nomenclature in Hindi?

किसी भी जीव को नाम देना “नामकरण (Nomenclature)” कहलाता है, हो सकता है, आपके मन में एक सवाल हो कि भईया नामकरण क्यों करते है तो मेरे भाई नामकरण इसलिए किया जाता है ताकि उनकी पहचान कर सके जैसे – हम लोगो का भी एक नाम होता है जिससे लोग हमें पहचानते है। ठीक उसी तरह सभी जीवो का एक नाम होना चाहिए।

अब एक जीव को अलग अलग देशो में या एक ही देश के अलग – अलग राज्यों में अलग – अलग नामों से जानते है।

जैसे – प्याज को महाराष्ट्र की तरफ कान्धा, कुत्ता को कोलकाता की तरफ कुकुर और तरबूज को पंजाब की तरफ कलिंगड़ बोला जाता है। तो कहीं न कही हर जगह पर जीवो के कुछ नाम है जिन्हें हम बोलते है स्थानीय नाम (Vernacular name)। जो भ्रम पैदा करते है। 

अब इस भ्रम को दूर करने के लिए हर एक जीव को एक ऐसा नाम देना होगा जो हर जगह लागू हो। अब वो चाहे अमेरिका, इंग्लैंड, जापान, चाइना, इंडिया कोई भी देश हो सेम वही नाम होगा, और इस नाम को ही वैज्ञानिक नाम (Scientific name) कहते है।

अब बात आती है कि वैज्ञानिक नाम कौन देगा और यह वैज्ञानिक नाम किसने दिया?

तो वैज्ञानिक नाम द्विनाम पद्धति के नियमो के अनुसार दिया जाता है।

जरूर पढ़ें -  6 Meaning of Inclusive in Hindi

द्विनाम पद्धति क्या है? What is Binomial Nomenclature in Hindi?

इस पद्धति में वैज्ञानिक नाम को दो नामो से मिलाकर दिया गया है, और वो दो नाम कौन होंगे वंश (Genus) और प्रजाति (Species) नाम।

जैसे – मेढक का वैज्ञानिक नाम राना टिग्रिना (Rana tigrina) है जिसमे राना वंश नाम है और टिग्रिना जाति नाम है।

द्विनाम पद्धति किसने दिया था? या द्विनाम पद्धति के जनक कौन है?

यह पद्धति वैज्ञानिक कार्ल लीनियस (Carolus linnaeus) ने दिया था। इन्होने 1751 में एक किताब प्रतिपादित किया जिसका नाम “Philosophia Botanica” है उन्होंने इस किताब में द्विनाम पद्धति को समझाया। उसके बाद फिर इन्होने 1753 में एक और किताब प्रतिपादित किया जिसका नाम “Species Plantarum” था। जिसके अंतर्गत इन्होने 5900 पादपो का वर्गीकरण किया।

उसके बाद फिर इन्होने 1758  में एक और बुक छापी जिसका नाम “Systema Naturae” है जिसके अन्दर 4326 जन्तुओ का वर्गीकरण किया। 

NEET के लिए कम्पलीट नोट्स बुक –

NEET Teachers के द्वारा एकदम सरल भाषा में लिखी गई नोट्स बुक 3 in 1, यानि कि एक ही किताब में जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान और भौतिक विज्ञान की कम्पलीट कोर्स। यदि आपको इसकी जरूरत है तो नीचे दिए गये बुक इमेज पर क्लिक कीजिये और इसके बारे में और भी जानिए।

नामकरण समितियां किसे कहते है?

यह वैज्ञानिको का समूह होता है जिसमे वैज्ञानिक जीवो का नामकरण करते है, और ये द्विनाम पद्धति के अनुसार नामकरण करते है। यह समितियां चार प्रकार की होती है।

ICBN – International Code of Botanical Nomenclature –

  • यह समिति पादपो का नामकरण करती है।

ICZN – International Code of Zoological Nomenclature –

  • यह समिति जन्तुओ का नामकरण करती है।

ICVN – International Code of Virus Nomenclature –

  • यह समिति विषाणुओं का नामकरण करती है।

ICNB – International Code of Nomenclature of Bacteria

  • यह समिति जीवाणुओं का नामकरण करती है।

अब हम बात करेंगे द्विनाम पद्धति के नियम के बारे में।

द्विनाम पद्धति के नियम (Binomial Nomenclature Rules) –

  • वैज्ञानिक नाम वंश और जाति नाम से मिलकर बना होगा।
  • वंश नाम का पहला अक्षर बड़े अक्षर में और जाति नाम का पहला अक्षर छोटे अक्षर में होगा। 
  •  जो भी बैज्ञानिक नाम होगा उस वैज्ञानिक नाम के बाद में उस बैज्ञानिक का नाम आएगा जो उस नाम को पस्तुत करेगा लेकिन बैज्ञानिक का नाम संक्षिप्त में होगा जैसे – Homo sapiens Linn. 
  • Linn. वैज्ञानिक का नाम है कार्ल लीनियस इन्होने ही मानव का वैज्ञानिक नाम होमो सेपियन्स प्रस्तुत किया था।
  • ये सभी वैज्ञानिक नाम लैटिन या ग्रीक भाषा के शब्द होंगे। अब बात आती है कि वैज्ञानिक नाम इसी भाषा के शब्द क्यों होंगे क्योकि इस भाषा में अगर किसी शब्द का मीनिंग तय हो गया तो फिर कभी नहीं बदलता है। इसलिए इस भाषा को मृत भाषा भी कहते है।
  • अगर आपको वैज्ञानिक नाम लिखना है तो आप उसे हाथो से लिखोगे या छापोगे अगर आप हाथो से लिखते है तो वैज्ञानिक नाम के नीचे अंडरलाइन करना होगा और अगर आप छापते है तो उसे तिरछे अक्षरों (Italic) में छापना होगा।

ये तो हो गया नियम के बारे में अब वर्गीकरण क्या है इसका जो मेन टॉपिक है उसका नाम वर्गिकी पदानुक्रम है इसमें हम वर्गीकरण कैसे किया गया, किस आधार पर किया गया है इन सभी के बारे में हम पढ़ेगे तो आपको इसे बहुत ही ध्यान से पढ़ना होगा –

वर्गिकी पदानुक्रम किसे कहते है? What is Taxonomical Haerrarchy in Hindi?

जीवो का वर्गीकरण एक क्रम में किया गया है और ये क्रम अलग – अलग पद में होंगे जिसे वर्गिकी पदानुक्रम कहते है। वो ये पद है।

अधिजगत जगत → संघ → वर्ग → गण → कुल → वंश → जाति और इंग्लिश में Domain Kingdom → Phylum → Class → Order → Family → Genus → Species

वर्गिकी वर्गीकरण, taxonomy in hindi
Vargikaran kya hai?

अब हम बात बात करेंगे जगत प्रणाली के बारे में, जगत प्रणाली कई प्रकार के होते है। तो सबसे पहला जो जगत प्रणाली है उसका नाम – दो जगत प्रणाली है।

दो जगत प्रणाली किसने दिया?

दो जगत प्रणाली वैज्ञानिक कार्ल लीनियस ने दिया था।

दो जगत प्रणाली में कौन – कौन से जगत है?

दो जगत प्रणाली में दो जगत है।

  1. वनस्पति जगत (Plantae kingdom)
  2. प्राणी जगत या जंतु जगत (Animalia kingdon)

दो जगत प्रणाली किस आधार पर बाँटा गया?

कार्ल लीनियस ने दो जगत प्रणाली को कोशिका भित्ति (Cell wall) के आधार पर बाटा था यानि कि जिन जन्तुओ की कोशिकाओ में कोशिका भित्ति मिल रही थी उन्हें वनस्पति जगत में रखा और जिनकी कोशिकाओ में कोशिका भित्ति नही मिल रही थी उन्हें जंतु जगत में रखा।

वर्गीकरण क्या है
वर्गीकरण क्या है? vargikaran kya hai?

वनस्पति जगत में जीवाणु, पादप, कवक और शैवालो को रखा। क्यों रखा क्योकि इनमे कोशिका भित्ति पाई जाती है, और जंतु जगत में जन्तुओ को रखा जिनमे कोशिका भित्ति नही पायी जाती है। 

अब यहाँ पर लीनियस ने एक गलती कर दी थी, वो गलती क्या थी। इन्होने वनस्पति जगत में एककोशिकीय और बहुकोशिकीय जीवो को एक साथ रख दिया था।

एक कोशकीय और बहु कोशिकीय जीव कौन है?

जीवाणु, डाईएटम, डायनोफ्लैजिलेट, प्रोटोजोआ और शैवाल एक कोशिकीय जीव है और पादप और कवक बहुकोशिकीय जीव है। कार्ल लीनियस जो गलती की थी उसे सुधारने के एक और प्रणाली आयी।

तीन जगत प्रणाली –

इस जगत प्रणाली को वैज्ञानिक Earnest Hackel ने दिया था। इन्होने इस प्रणाली को तीन जगत में बाँटा।

दो जगत प्रणाली पहले ही थी वनस्पति जगत और प्राणी जगत इन्होने एक और जगत दिया प्रोटिस्टा जगत (Protista Kingdom)।

amoeba, अमीबा
Amoeba cell

अब हैकल ने किस आधार पर बांटा। हैकल ने शरीर के संगठन के आधार पर बांटा मतलब जो जीव एककोशिकीय थे उन्हें उठाकर प्रोटिस्टा जगत में रख दिया।

अब भईया इन्होने भी एक गलती कर दी। वो गलती क्या थी। इन्होने प्रोकैरियोटिक और यूकैरियोटिक कोशिकाओ को एक साथ रख दिया। अब इस गलती को सुधारने के लिए एक और जगत प्रणाली आयी। 

जरूर पढ़ें -  संघ कॉर्डेटा : वर्गीकरण, सामान्य लक्षण, उदाहरण, अंतर

चार जगत प्रणाली –

चार जगत प्रणाली को वैज्ञानिक कोपलैंड ने दिया था इन्होने इस प्रणाली को चार जगत में बाँटा।

तीन जगत प्रणाली पहले ही थी वनस्पति जगत, प्राणी जगत और प्रोटिस्टा जगत। इन्होने एक और जगत दिया मोनेरा जगत (Monera kingdom) कोपलैंड ने भी शरीर संगठन के आधार पर बांटा था लेकिन इन्होने प्रोकैरियोटिक कोशिका और यूकैरियोटिक कोशिका वाले जीवों को अलग किया था।

prokaryotic cell and eukaryotic cell
prokaryotic cell and eukaryotic cell

इन्होने प्रॉटिस्टा जगत में से प्रोकैरियोटिक कोशिका वाले जीवो जैसे – जीवाणु और नील हरित शैवाल (सायनोबैक्टीरिया) को उठाकर मोनेरा जगत में रख दिया।

अब इन्होने भी एक गलती कर दी वो गलती क्या थी कि इन्होने वनस्पति जगत में पादपो और कवको एक साथ छोड़ दिया था। इस जगत की तरफ ध्यान ही नहीं दिया था। जबकि पादपो और कवको में कुछ अंतर है क्या अंतर है आगे पढ़ेंगे। अब इस गलती को सुधारने के लिए एक और प्रणाली आयी।

पांच जगत प्रणाली –

पांच जगत प्रणाली R. H. Whitekker ने दिया था। इन्होने इस प्रणाली को पांच जगत में बांटा। मोनेरा जगत (Monera), प्रोटिस्टा जगत (Protista), कवक जगत (Fungi), वनस्पति जगत (Plantae), और प्राणी जगत (Animalia)। इन्होने एक और जगत दिया (Fungi)।

व्हिटेकर इस जगत को 5 आधार पर बांटा।

  1. शारीरिक संगठन – इसका मतलब जीव एकल कोशिकीय है कि बहुकोशिकीय है इस आधार पर वर्गीकृत किया।
  2. कोशिकीय संरचना – इसका मतलब जीव प्रोकैरियोटिक कोशिका है कि  यूकैरियोटिक कोशिका  का है इस आधार पर वर्गीकृत किया। 
  3. पोषण की विधि – इसका मतलब जीव स्वपोषी है कि परपोषी है इस आधार पर वर्गीकृत किया।
  4. जनन – इसका मतलब जीव लैंगिक जनन करता है कि अलैंगिक जनन करता है इस आधार पर वर्गीकृत किया।
  5. जतिवृतिय सम्बन्ध – इसका मतलब जीव अपने पूर्वज से कितना ज्यादा समानता रखता है इस आधार पर वर्गीकृत किया।

पांच जीव जगत के लक्षण –

तो दोस्तों अब हम पांचो जीव जगत के बारे में बात करेंगे कि किस जगत में किस तरह के जीवो को रखा गया है। उनके लक्षण क्या है।

मोनेरा जगत (Monera kingdom)- 

इस जगत में प्रोकैरियोटिक कोशिका वाले जीवो को रखा है। बाकि चारों जगत में यूकैरियोटिक कोशिका वाले जीवो को रखा है। इसमें जीवाणु, नील हरित शैवाल और माइकोप्लाज्मा है।

माइकोप्लाज्मा को छोड़कर दोनों में कोशिका भित्ति पायी जाती है। इनकी कोशिका भित्ति Lipopolysaccharide और Peptidoglycan से बनी होती है। इसमें केन्द्रक झिल्ली नही मिलती है। इनका शरीर एक कोशिका से बना है।

इनका पोषण की विधि मिश्रित होता है मतलब इनमे कुछ जीवाणु और कुछ नील हरित शैवाल (साइनोबैक्टीरिया) स्वपोषी होते है और बाकि सभी परपोषी होते है। इनमे प्रजनन की विधि संयुग्मन होता है।

प्रोटिस्टा जगत (Protista kingdom) – 

इस जगत में यूकैरियोटिक कोशिका वाले एकल कोशिकीय जीवो को रखा है। इनमे कोशिका भित्ति कुछ में ही होती है। इसमें केन्द्रक झिल्ली मिलती है। इनका पोषण की विधि मिश्रित होता है मतलब इनमे स्वपोषी और परपोषी दोनों होते है। इनमे प्रजनन की विधि युग्मक – संयुग्मन और संयुग्मन होता है।

फंजाई जगत (Fungi kingdom) –

इस जगत में यूकैरियोटिक कोशिका वाले बहुकोशिकीय जीवो को रखा है। इनमे कोशिका भित्ति होती है। जो काईटिन से बनी होती है। इसमें केन्द्रक झिल्ली मिलती है। इनके शरीर की संरचना में सिर्फ ऊतक मिलते है अंगतंत्र नही मिलते है इनका पोषण की विधि परपोषी या मृतपोषी और परजीवी होते है। इनमे प्रजनन विधि में निषेचन होता है।

वनस्पति जगत (Plantae kingdom) –

इस जगत में यूकैरियोटिक कोशिका वाले बहुकोशिकीय जीवो को रखा है। इनमे कोशिका भित्ति होती है। जो सेलुलोज से बनी होती है। इसमें केन्द्रक झिल्ली मिलती है। इनके शरीर की संरचना में ऊतक,अंग, ऊतक तंत्र मिलते है ये स्वपोषी होते है। इनमे प्रजनन विधि में निषेचन होता है।

प्राणी जगत (Animalia kingdom) –

इस जगत में भी यूकैरियोटिक कोशिका वाले बहुकोशिकीय जीवो को रखा है। इनमे कोशिका भित्ति नही होती है। इसमें केन्द्रक झिल्ली मिलती है। इनके शरीर की संरचना में ऊतक → अंग → अंगतंत्र मिलते है ये परपोषी होते है। इनमे प्रजनन विधि में निषेचन होता है।

छह जगत प्रणाली या जीवन के तीन डोमेन  –

यह प्रणाली बैज्ञानिक कार्ल वुज ने दिया था इसके पहले ही वैज्ञानिक व्हिटेकर ने पांच जगत प्रणाली दिया था मोनेरा, प्रोटिस्टा, फंजाई, प्लांटी और एनिमलिया। अब कार्ल वुज इन पांचो जगतो का अध्यन किया और बताया कि चार जगत में हमें कोई गड़बड़ी नही लग रही है लेकिन एक जगत में गड़बड़ी है और उस जगत का नाम है मोनेरा जगत। कार्ल वुज ने मोनेरा जगत को दो जगत में बाँट दिया। 

  1. आर्किबैक्टीरिया जगत या आद्यजीवाणु जगत  
  2. यूबैक्टीरिया जगत 

अब ये दो जगत और पहले के चार जगत प्रोटिस्टा, फंजाई, प्लांटी और एनिमलिया मिलकर कितने जगत हो गए 6 जगत हो गए। 

अब बात आती है कि इन्होने छह जगत प्रणाली को जीवन के तीन डोमेन भी क्यों कहा। डोमेन को हिंदी में अधिजगत कहा जाता है।

इन्होने कहा कि या तो छह जगत बोल दो या इन छह जगतो को तीन समूह में डाल दो।

  1. आर्कि अधिजगत – इस डोमेन में आर्किबैक्टीरिया जगत को रखा गया है।  
  2. बैक्टीरिया अधिजगत – इस डोमेन यूबैक्टीरिया जगत को रखा गया है।
  3. यूकैरया अधिजगत – इस डोमेन में जितने यूकैरियोटिक कोशिका वाले जीव है उन्हें रखा गया है यानि कि  प्रोटिस्टा, फंजाई, प्लांटी और एनिमलिया जगत के जीवो को रखा गया है।

इन्ही तीनो समूह को अधिजगत या डोमेन कहा जाता है। और जीवन के तीन डोमेन इसलिए कहा क्योकि इन्ही तीनो डोमेन में सभी प्रकार के जीवधारी समिलित है।  

अब भईया जो मेन बात आती है कि इन्होने किस आधार पर मोनेरा जगत को बाटा था।

इन्होने मोनेरा जगत को कोशिका झिल्ली के आधार पर बाटा था। इन्होने देखा कि आर्किबैक्टीरिया और यूबैक्टीरिया के कोशिका झिल्ली में अंतर है। क्या अंतर है चलिए जानते है।

जरूर पढ़ें -  उपकला ऊतक Epithelial Tissue in Hindi, प्रकार, कार्य, लक्षण,

आर्किबैक्टीरिया और यूबैक्टीरिया में अंतर –

Differneces between of Archaebacteria and Eubacteria –

आर्किबैक्टीरिया (Archaebacteria)यूबैक्टीरिया (Eubacteria)
इनकी कोशिका झिल्ली में लिपिड की केवल एक स्तर (मोनो लेयर) मिल रही है और यह शाखित (Branched) है। इनकी कोशिका झिल्ली में लिपिड की केवल दो स्तर (बाईलेयर) मिल रही है और यह समान्तर (Parallel) है। 
इनकी कोशिका भित्ति में Peptidoglycan या म्युरीन नही पायी जाती है। इनकी कोशिका भित्ति में Peptidoglycan या म्युरीन पायी जाती है।
ये चरम प्रतिकूल परिस्थितियों में मिलते है।ये नार्मल और अनुकूल परिस्थतियों में मिलते है। 

वर्गिकी सहायक साधन किसे कहते हैं?

पहचान, नामकरण और वर्गीकरण करने के लिए हमें कुछ साधन की जरूरत पड़ेगी इन्हीं साधन को “वर्गिकी सहायक साधन” कहते हैं।

वर्गिकी सहायक साधन कौन-कौन  होते हैं? 

निम्नलिखित वर्गिकी सहायक साधन है।

हर्बेरियम (Herbarium) –

हर्बेरियम एक ऐसी जगह है जहां पर पादपों के मृत नमूनों को रखा जाता है। हर्बेरियम कहलाता है। वह जगह कौन सी है देखिये सबसे पहले एक पादप लेते है और मृत कर देते है। उसके बाद एक चपटी कागज के सीट पर चिपका देते है और उस सीट को हर्बेरियम सीट कहा जाता है।

ताकि अगर किसी को पहचान करनी हो तो वह हर्बेरियम में जायेगा और हर्बेरियम सीट को देखेगा उसके बाद उस पादप की बह्यीय आकृति देखेगा और समझ जाएगा की इस तरह की पादपों को किस संघ, गण, वंश, में रखा गया है।

एक और महत्वपूर्ण प्रश्न कि –

हर्बेरियम सीट की लम्बाई और चौड़ाई कितनी होती है?

इसकी लम्बाई 16.5 इंच और चौड़ाई 11.5 इंच होती है।

वनस्पति उद्यान (Botanical Garden) – 

यह एक ऐसी जगह है जहाँ पर जीवित वनस्पतियों को रखा जाता है ताकि जो पादप विलुप्त होने के कगार पर उन्हें बचाया जा सके या संरक्षित किया जा सके। 

संग्रहालय (Museum) –

यह एक ऐसी जगह है जहाँ पर पादप और जंतु दोनों प्रकार के जीवो के अवशेषों को रखा जाता है। अब इन पादप या जन्तुओ को सूखा रखा जायेगा या एक घोल में रखा जायेगा।

अगर आप कभी भी अपने कॉलेज के संग्रहालय में गए होंगे तो आपने देखा होगा कि छोटे छोटे जन्तुओ को एक काँच के डब्बे के अंदर एक घोल में रखा गया है। और यह घोल फोर्मेलडिहाईड अम्ल (HCHO) होता है। जो अवशेषों को जीवाणुओं से संक्रमित नही होने देता है या सड़ने नही देता है।  

चिड़ियाघर (Zoological park) –

यहाँ पर जन्तुओ को रखा जाता है अगर आप चिड़ियाघर कभी गए होंगे तो वहाँ पर आपने बहुत से प्रकार के जन्तुओ को देखा होगा आपने कुछ ऐसे जन्तुओ को भी देखा होगा जिनका आप सिर्फ नाम सुने थे। तो इससे क्या पता चलता है कि यहाँ पर ऐसे प्राणियों को भी संरक्षित किया गया है जो विलुप्त होने के कगार पर है।  

मोनोग्राफ – 

 यह एक किताब होती है जिसमे पादप के किसी एक सोपान के बारे में बता रखा होगा। 

सोपान क्या होता है? What is Taxon in hindi?

अगर आपने वर्गिकी पदानुक्रम पढ़ा होगा तो आप जगत → संघ → वर्ग → गण → कुल → वंश → जाति के बारे में जानते होंगे। ये कितने वर्ग है सात। अगर हम इनमे से किसी एक वर्ग को उठा लेते है तो उस एक वर्ग को सोपान (Taxon) कहते है।

तो कहने का मतलब यह है कि इस मोनोग्राफ पुस्तक में किसी पादप के जगत के बारे में या संघ के बारे में या वर्ग के बारे में या गण के बारे में या कुल के बारे में या वंश के बारे में या प्रजाति के बारे में बता रखा होगा यानि कि एक सोपान के बारे में बता रखा होगा।

फ्लोरा (Flora) –

फ्लोरा भी एक किताब होती है इस किताब के अंदर किसी भी पादप के वास स्थान के बारे में बताया जाता है कि वह पादप जिस जगह उग रहा है उसके आस पास का वातावरण कैसा है।

फोना (Founa) –

फोना भी एक किताब होती है जिसके अन्दर किसी जंतु के वास स्थान के बारे में बताया जाता है कि वह जंतु जिस जगह रहता है उसके आस पास का वातावरण कैसा है। 

वर्गीकरण के प्रकार –

अगर हम इसके प्रकार की बात करें तो वर्गीकरण में जीवो को कई अलग – अलग कारको के आधार पर वर्गीकृत किया गया है जो निम्नलिखित है –

  1. शारीरिक संगठन के आधार पर – इसका अर्थ जीव बहु कोशिकीय है कि एकलकोशिकीय है, इस आधार पर वर्गीकृत किया। जैसे – अमीबा एकल कोशिकीय है और हम बहु कोशिकीय है।
  2. कोशिकीय संरचना के आधार पर – इसका अर्थ जीव यूकैरियोटिक कोशिका है कि प्रोकैरियोटिक कोशिका  का है इस आधार पर वर्गीकृत किया। 
  3. पोषण की विधि – इसका अर्थ जीव स्वपोषी है कि परपोषी है इस आधार पर वर्गीकृत किया।
  4. जनन के आधार पर – इसका मतलब जीव लैंगिक जनन करता है कि अलैंगिक जनन करता है इस आधार पर बांटा गया है।
  5. जतिवृतिय सम्बन्ध के आधार पर – इसका अर्थ जीव अपने पूर्वज से कितना ज्यादा समानता रखता है इस आधार पर वर्गीकृत किया।

वर्गीकरण का महत्व –

  • जीवो के वर्गीकरण का महत्व बहुत ही ज्यादा जरूरी है क्यों इतना जरूरी है चलिए इसके बारे में भी जान लेते है।
  • अध्ययन करने में सुविधा –  हमारे पृथ्वी पर लगभग 20 लाख जीवो की प्रजातियाँ है और एक – एक करके इनका स्टडी करना नामुमकिन है क्योकि जीवो की प्रजातियों की संख्या बहुत ही ज्यादा है। इसलिए जीवो को सामान लक्षण वाले वर्गो में बांटा गया है जिससे जीवो का अध्ययन करने में आसानी हो।
  • विवधता में सरलता – हमारे पृथ्वी पर जीवो की विशाल विविधता पायी जाती है और इस विशाल विविधता को वर्गीकरण सरल बनाता है। 
  • समझने में सहायक – वर्गीकरण विभिन्न जीवो और उनके वर्गो के बीच सम्बन्ध को समझने में सहायता करता है।
  • वर्गीकरण दूसरे जैविक विज्ञानों के विकास के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • ऐसे और भी कामो में वर्गीकरण कर महत्व है।
  • उदाहरण –  वर्गीकरण से मिली सूचनाओ पर प्राणियों और पौधों का वितरण निर्भर है इसी तरह और भी विज्ञान के शाखाओ का विकास और उन्नति वर्गीकरण के बिना नामुमकिन है।
वर्गीकरण Meaning in English –

वर्गीकरण को इंग्लिश में क्लासिफिकेशन (Classification) कहते है।

FAQs –

वर्गिकी के जनक कौन है? Who is father of taxonomy in hindi?

कार्ल लीनियस (Carl Linnaeus)। 

वर्गीकरण के जनक कौन है? Who is father of classification in hindi?

वर्गीकरण के जनक अरस्तु (Aristotle) है।

वर्गिकी शब्द किसने दिया था।

A.P. De Condole ने दिया था।

जीवों को वर्गीकृत क्यों करते है?

जीवो को पहचानने में आसानी हो सकती है।
विभिन्न जीवों के मौलिक लक्षण और उनके बीच विकासीय सम्बन्ध को स्पस्ट करना वर्गीकरण का उद्देश्य है।
अध्यन में सुविधा के लिए 
उन जीवो का अध्यन हो जाता है जो दूर दराज क्षेत्रो में मिलते है।

वर्गिकी पदानुक्रम की सबसे छोटी इकाई है?

जाति (Species)

वर्गिकी संवर्ग का सही क्रम लिखिए।

डोमेन → जगत → संघ → वर्ग → गण → कुल → वंश → जाति

पांच जगत वर्गीकरण किस वैज्ञानिक ने दिया?

आर. एच. व्हिटेकर ने।

Conclusion –

तो दोस्तों वर्गीकरण क्या है, इसके बारे में दी गई जानकरी आपको कैसी लगी कमेंट करके बताइए और भी आपके मन में कोई सवाल है तो जरूर पूछिए हम आपकी पूरी मदद करेंगे।

Thank you so much

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