आवेश संरक्षण का नियम, उदाहरण, कार्य, संरक्षी बल,

नमस्कार दोस्तों, क्या आप आवेश संरक्षण का नियम के बारे में जानना चाहते है यदि हाँ, तो आप बिल्कुल सही पोस्ट पर आये है। आज हम इसी नियम के बारे में जानेंगे और इसके साथ – साथ कार्य, संरक्षी बल और असंरक्षी बल के बारे में भी जानेगे तो चलिए समय बर्बाद न करते हुए शुरू करते है।

आवेश संरक्षण का नियम लिखिए उदाहरण सहित (Law of conservation of charge)

“जब दो वस्तुओ को परस्पर रगडा जाता है, तो दोनों वस्तुओ पर एक साथ विपरीत प्रकृति परन्तु सामान परिमाण के आवेश उत्पन्न हो जाते है”, अर्थात दोनों वस्तुओ पर उत्पन्न आवेश की कुल मात्रा शून्य ही रहती है। इस बात को हम इस प्रकार भी कह सकते है कि

“आवेश को न तो उत्पन्न किया जा सकता है, और न ही आवेश को नष्ट किया जा सकता है” इसे ही आवेश संरक्षण का नियम कहा जाता है। प्रत्येक प्राकृतिक घटना में जहाँ वैद्दुत आवेश का आदान प्रदान होता है। यह नियम बिल्कुल सही पाया गया है।

आवेश संरक्षण का नियम
आवेश संरक्षण का नियम

चलिए हम लोग इसे उदाहरण से समझते है।

उदाहरण – इलेक्ट्रान और पॉज़िट्रान की संयोग आवेश संरक्षण को प्रदर्शित करता है इलेक्ट्रान पर ऋणावेश होता है और पॉज़िट्रान पर ठीक इलेक्ट्रान के आवेश के बराबर परिमाण का धनावेश होता है

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अतः दोनों के आवेश का कुल योग शून्य होता है ये दोनों परस्पर संयोग करके दो गामा प्रोटॉन उत्पन्न करते है जिसमे प्रत्येक पर आवेश शून्य ही होता है अतः संयोग से पहले कुल आवेश = संयोग के बाद कुल आवेश

दोस्तों आशा करता हूँ कि आपको आवेश संरक्षण का नियम समझ में आ गया होगा।

कार्य क्या है?

किसी वस्तु पर बल लगाकर उसे बल कि दिशा में विस्थापित करने की क्रिया को कार्य कहते है।

कार्य = बल * बल की दिशा में वस्तु का विस्थापन

W = F.s.

कार्य एक अदिश राशि है

कार्य का S.I. मात्रक और विमीय सूत्र क्या है?

कार्य का S.I. पद्धति में मात्रक जूल और विमा [ML2T-2] है

संरक्षी बल किसे कहते हैं?

वह बल जिसके द्वारा किसी वस्तु को एक बिंदु से किसी दूसरे बिंदु तक विस्थापित करने में किया गया कार्य, उन बिन्दुओ के बीच के वास्तविक प्रगमन पथ (Path of Travel) पर निर्भर नहीं करता है, बल्कि केवल वस्तु की प्रारंभिक तथा अंतिम स्थितियों पर निर्भर करता है संरक्षी बल कहलाता है।

संरक्षी बल का उदाहरण – गुरुत्वीय बल एक संरक्षी बल है।

असंरक्षी बल किसे कहते हैं?

यदि किसी वस्तु को एक स्थिति से दूसरी स्थिति तक विस्थापित करने में किसी बल द्वारा अथवा उसके विरुद्ध किया गया कार्य इन दो स्थितियों के बीच अपनाये गये पथ, पर निर्भर करता है असंरक्षी बल कहलाता है।

असंरक्षी बल का उदाहरण – घर्षण बल असंरक्षी बल है।

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तो दोस्तों मैं आशा करता हूँ आपको आवेश संरक्षण का नियम के साथ – साथ और भी दी गई जानकारी पसंद आयी होगी। दोस्त अगर यह जानकारी आपको पसंद आयी है तो प्लीज इसे अधिक से अधिक शेयर कीजिये।

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धन्यवाद     

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